रायपुर। राजस्व निरीक्षक की विभागीय परीक्षा में गड़बड़ी के मामले ने सोमवार को विधानसभा में जोर पकड़ा। प्रश्नकाल के दौरान भाजपा विधायक राजेश मूणत ने सरकार से सवाल किया कि जांच कहां तक पहुंची है और अब तक दोषियों पर क्या कार्रवाई हुई है। उन्होंने यह भी पूछा कि परीक्षा में कितने परीक्षार्थी शामिल हुए थे।
सरकार का जवाब:
राजस्व मंत्री टंकाराम चर्मा ने जवाब में कहा कि यह परीक्षा पिछली सरकार के कार्यकाल में हुई थी। परिणाम घोषित होने के बाद शिकायतें मिलीं, जिसके आधार पर पांच सदस्यीय जांच समिति बनाई गई। समिति की रिपोर्ट में गड़बड़ी की पुष्टि हुई है — इसमें यह भी सामने आया कि “भाई-भाई एक साथ परीक्षा में शामिल हुए थे।”
मंत्री ने बताया कि सामान्य प्रशासन विभाग ने जांच के लिए गृह विभाग को पत्र भेजा था, लेकिन गृह विभाग ने इसे संबंधित विभाग का विषय बताते हुए लौटा दिया। इसके बाद मामला आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) को सौंपा गया है। उन्होंने कहा कि कॉल डिटेल और अन्य तकनीकी साक्ष्यों की जांच की जा रही है और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।
विपक्ष का आरोप:
भाजपा विधायक मूणत ने आरोप लगाया कि मंत्री के कार्यभार संभालने के नौ दिन बाद ही परीक्षा हुई, और इसमें “अपने लोगों को पास कराने का तंत्र” सक्रिय था। उन्होंने सवाल उठाया कि जब गड़बड़ी साबित हो चुकी है, तो कार्रवाई क्यों नहीं हुई।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सरकार से पूछा कि क्या इस मामले की जांच सीबीआई से कराई जाएगी। इस पर भाजपा विधायक धरमलाल कौशिक ने पलटकर पूछा, क्या आपको सीबीआई पर भरोसा है? इसके बाद सदन में तीखी नोकझोंक शुरू हो गई।
विपक्ष ने सरकार पर दोषियों को बचाने का आरोप लगाया और विरोध स्वरूप कांग्रेस विधायकों ने सदन से वॉकआउट कर दिया।