अजय श्रीवास्तव रायपुर — मध्यप्रदेश से अलग होकर जब से छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण हुआ था तब से लेकर अब तक राजधानी रायपुर में सम्पत्तियों के बाजार मूल्य बहुत तेजी से बढ़े हैं और रोजाना बढ़ते जा रहे हैं। यहां राज्य निर्माण के बाद अन्य प्रदेशों से लोगों ने यहां आकर अनेकों जगह भूमि,मकान, आवासीय – व्यावसायिक प्लाट, खेती योग्य भूमि की खरीदी है। लेकिन अनेकों बार यह बात सामने आई है कि भूखण्ड खरीदने वाले अन्य प्रदेशों के लोग वे राजधानी में सम्पत्तियों को क्रय जरूर कर लेते हैं लेकिन दूर निवास के कारण वे बार बार उसे देखने नहीं आ पाते हैं । जिसका लाभ उठाकर उस जमीन को कुछ विभागीय अधिकारियों के साथ साजिश रच कर उसे बेच देते हैं। ऐसा ही एक मामला राजधानी रायपुर के रायपुर भिलाई राष्ट्रीय राजमार्ग पर रायपुरा रोड पर अग्रोहा गृहनिर्माण सहकारी समिति के क्षेत्र में स्थित 7 हजार वर्गफुट के व्यवसायिक प्लाट की वर्ष दिसंबर 2018 में हो नीलम अग्रवाल ने सनसाइन ड्रीम रिलेटर के नाम से बेची जा चुकी थी,
लेकिन सनसाइन ड्रीम के संचालक टीम ने इम्तियाज आलम द्वारा पावरआफ़ अटॉर्नी नामी के द्वारा आमिर खान द्वारा मनमोहन गाबा समर्थ दीप बिल्डिंग नंबर 11आफ वालावालकर रोड, ओशिवरा सारस्वत बैंक अंधेरी बेस्ट मुंबई निवासी 20 मार्च 2021 को तीन करोड़ रुपए की राशि में बेची थी। लेकिन कोविड के कारण वकील के द्वारा लगभग 30 दिन के खरीदी गई संपत्ति का प्रमाणीकरण किया जाएगा तब तक आपका यहां रहना व्यर्थ है यह कहकर वकील ने मैं आपका प्रमाणीकरण कर दूंगा और प्रमाणीकरण के समय आपको यहां बुला लूंगा कहकर क्रेत्रा को मुंबई वापस भेज दिया। लगातार कोविड काल के लगे लाकडाउन के कारण क्रेत्रा का रायपुर आना नहीं हुआ । इस बीच मनमोहन की भूमि को किसी ने साजिश कर मनमोहन को जमीन बेचने वाले पूर्व विक्रेत्रा आमिर खान वाली पावर ऑफ अटॉर्नी में मोहम्मद जावेद मदनपुर बांदा ( उत्तरप्रदेश ) ने फिर उसी भूमि को रुपेश कुमार चौबे को बेच दी। यह विक्रय विलेख दो माह बाद 19 मई 2021 1 करोड़ 50 लाख रुपए में बेचा दिया गया था। फिर इसी भूमि को रुपेश कुमार चौबे ने अशोका बिरयानी संचालक को 27 जुलाई 2021 में 1 करोड़ 60 लाख रुपए बेच दिया गया था।
साल 2022 के समय जब मनमोहन सिंह गाबा के परिजनों द्वारा अपनी जमीन पर काम शुरू करने पहुंचे तो उन्हें इस बात का पता चला कि उनके प्लाट की दो बार रजिस्ट्री और हो चुकी है। इसके बाद उन्होंने अपने वकील प्रदीप सरकार से संपर्क किया गया तो उन्होंने अपनी गलती स्वीकारते हुए कहा कि मैं उनके भूमि का प्रमाणीकरण नहीं कर पाया हूं । इस पर भूमि स्वामी के सदस्य रितु शर्मा ने तहसीलदार कार्यालय, पुलिस थाने, पुलिस अधीक्षक के पास शिकायत दर्ज कराई गई जिसके बाद पुलिस ने बाद के साजिश कर भूमि की रजिस्ट्री कराने वाले लोगों के उपर अपराधिक प्रकरण दर्ज किया गया। जिसके बाद कोर्ट में केस दर्ज होने के बाद रुपेश चौबे, हितेश चौबे जावेद खान, कृष्णकांत तिवारी की जमानत याचिका खारिज कर दी है। साथ ही कृष्णकांत तिवारी की रजिस्ट्री दस्तावेज के अनुसार अपना अधिकार का दावा करने वाली अपील भी न्यायालय ने खारिज कर दी है।
अब ये गौर करने वाली बात है कि इसमें पहले हुई व्यवसायिक प्लॉट की रजिस्ट्री को कैसे आवासीय क्षेत्र दिखाकर विक्रय ब्लैक कर दिया गया जिससे शासन को आर्थिक नुकसान भी पहुंचाया गया साथ ही 1 साल के भीतर ही तीन बार भूखंड अभिलेख यह भी किसी न किसी साजिश की ओर इंगित करता है। प्रार्थी की सुनवाई न्यायालय में 5 फरवरी को होने जा रही है अब यह देखा जाएगा क्या प्रार्थी के पक्ष में न्यायालय अपना निर्णय देता है।