अजय श्रीवास्तव गरियाबंद / रायपुर। घने जंगलों की लगातार कटाई और शासन के द्वारा वन अधिकार पट्टा जैसी बनाई हुई योजना से हरे-भरे जंगलों की कटाई से जंगल में निवास करने वाले वन्य प्राणियों का जीवन यापन मुश्किल हो गया है। छत्तीसगढ़ प्रदेश के गठन के बाद हुए वन क्षेत्र सर्वे में प्रदेश का 44 प्रतिशत क्षेत्रफल धने जंगलों का था जो अब 38 प्रतिशत क्षेत्रफल ही घने जंगलों बचा है।

प्रदेश का गरियाबंद जिला अपने घने जंगलों और जंगली जानवरों के लिए पिछले तीन दशकों से भी ज्यादा प्रसिद्ध रहा था। यहां सभी प्रकार के जंगली जानवरों के साथ छत्तीसगढ़ में विलुप्त हो रहे प्रजाति का बाघ आखरी बार गरियाबंद एवं सीतानदी उदंती में 2017 में उड़ीसा और छत्तीसगढ़ की सीमा में देखा गया था लेकिन 2018 में जनवरी में इसकी खाल को पुलिस ने आरोपी सहित जप्त किया था।
लेकिन इस बार गरियाबंद जिले के सीतानदी उदंती अभ्यारण्य में एक बार फिर बाघ की उपस्थिति होंने की जानकारी मिली है। जिससे वन विभाग एवं वन्य प्राणी प्रेमियों के लिए खुशखबरी है। बाघ की खोज के लिए वन प्रशासन ने अभ्यारण्य क्षेत्र के जंगलों में नए तकनीकी वाले ट्रैप कैमरे लगाने की तैयारी कर रही है। ऑल इंडिया टाइगर एस्टिमेशन फेज- 4 के तहत यह अभियान चलाया जा रहा है। इसके लिए उदंती अभ्यारण्य को चार क्षेत्रों में अलग-अलग किया गया है। गुगल मेप लोकेशन का क्षेत्रफल तय किया जाएगा।
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मिली जानकारी अनुसार गूगल अर्थ प्रत्येक क्षेत्र में तय ग्रिड में 250 कैमरे लगाए जाएंगे, इसके लिए 150 कर्मियों को ट्रेनिंग भी दी गई है। वहीं वन विभाग के DFO से चर्चा में वन विभाग द्वारा वर्ष 2022 के 13 दिसंबर को अंतिम बार बाघ कैमरे के सामने आया था। वन विभाग एवं सेफ टाइगर प्रोजेक्ट से जुड़ी टीम को पिछले 11 महिनों से इस एक अकेले बाघ की हलचल की कोई भी जानकारी नहीं मिली है। शायद इसी वजह से फिर से वन विभाग ने ट्रैप कैमरा लगाने की तैयारी कर ली है।