अजय श्रीवास्तव/ रायपुर। भारतीय संस्कृति में नृत्य कला को कुचिपुड़ी, भरतनाट्यम, ओडीसी के साथ कत्थक से विश्व पटल पर अलग पहचान बंधी हुई है । आजकल की युवा पीढ़ी जहां वेस्टर्न म्यूजिक और वेस्टर्न डांस पर ज्यादा फोकस कर रही है ऐसे समय पर छत्तीसगढ़ की राजधानी की एक बालिका आरना श्रीवास्तव अपनी पढ़ाई के साथ कत्थक नृत्य के लिए अपनी पढ़ाई के दबाव के बावजूद समय निकालकर भारतीय संस्कृति कत्थक कला में पूरी शिद्दत और लगन से लगी हुई है। यह बालिका पिछले 7 वर्षों से लगातार कत्थक नृत्य साधना में लीन हैं। इस बालिका ने प्रदेश के अलग-अलग जिलों में अलग-अलग नृत्य संस्थाओं की प्रतियोगिताओं में भाग लेकर पुरस्कार भी प्राप्त किया है।

कल रविवार देर शाम गोविंद लीला अकादमी द्वारा राजधानी रायपुर के रंग मंदिर में आयोजित एक नृत्य प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था जिसमें अपने श्रेष्ठ प्रदर्शन किया, मंच पर श्रेष्ठ प्रदर्शन के बाद उसे “चक्रप्रिया कला सम्मान ” से सम्मानित भी किया गया । यह बालिका रायपुर निवासी आशीष एवं रेणु श्रीवास्तव की बड़ी बिटिया है, खास बात यह है कि इस बालिका की छोटी बहन भी कत्थक नृत्य कला में निपुण हैं। वह भी कई कत्थक नृत्य कला प्रतियोगिताओं में भाग लेकर पुरस्कार प्राप्त कर चुकी है।
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