रायपुर। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित 2161 करोड़ के शराब घोटाले में जेल में बंद पूर्व आबकारी मंत्री और कोंटा विधायक कवासी लखमा की न्यायिक रिमांड समाप्त होने के बाद उन्हें प्रवर्तन निदेशालय (ED) की विशेष अदालत में पेश किया गया। इससे पहले कोर्ट ने उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजा था।
लखमा पर क्या हैं आरोप?
जनवरी 2024 में ED ने कवासी लखमा को इस घोटाले में गिरफ्तार किया था। उन पर आरोप है कि मंत्री पद पर रहते हुए उन्होंने हर महीने लगभग 2 करोड़ रुपये अवैध रूप से प्राप्त किए, जिससे कुल 72 करोड़ रुपये की अवैध आय हुई। ED के अनुसार, इस धनराशि का उपयोग कांग्रेस कार्यालय और अपने बेटे के लिए घर बनाने में किया गया।
शराब घोटाले में ED की कार्रवाई
ED ने 15 जनवरी को लखमा को गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी से पहले उन्हें दो बार ED कार्यालय बुलाकर पूछताछ की गई थी। गिरफ्तारी के बाद 7 दिन की कस्टोडियल रिमांड में लेकर पूछताछ की गई और फिर उन्हें 21 जनवरी से 4 फरवरी तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। बाद में 18 फरवरी तक उनकी रिमांड बढ़ा दी गई थी।
इस मामले में पूर्व IAS अनिल टुटेजा, उनके बेटे यश टुटेजा और तत्कालीन CM सचिवालय की उपसचिव सौम्या चौरसिया के खिलाफ भी कार्रवाई हो रही है। आयकर विभाग ने 2022 में दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें छत्तीसगढ़ में बड़े पैमाने पर रिश्वत और अवैध धन वसूली की बात कही गई थी।
ED की चार्जशीट में घोटाले का खुलासा
ED ने 13 मार्च को विशेष अदालत में 3,841 पन्नों की चार्जशीट पेश की, जिसमें पूर्व मंत्री कवासी लखमा समेत 21 अन्य लोगों को आरोपी बनाया गया। ED का दावा है कि लखमा को इस घोटाले की पूरी जानकारी थी और वे इसमें सक्रिय रूप से शामिल थे।
हालांकि, लखमा ने अपनी गिरफ्तारी के समय कहा था कि वे निरक्षर हैं और जो भी कागजात उनके सामने लाए जाते थे, वे उन पर हस्ताक्षर कर देते थे, उन्हें नहीं पता था कि वे किस पर हस्ताक्षर कर रहे हैं।