Tuesday, March 18, 2025
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संसद के शीतकालीन सत्र में 7 नए, 11 लंबित बिल पर होगी चर्चा, 4 ‎दिसंबर से 15 दिन तक चलेगा सत्र

नई दिल्ली । संसद का शीतकालीन सत्र 4 दिसंबर से शुरू होने जा रहा है, जो‎ कि आगामी 22 दिसंबर तक चलेगा। इस दौरान 7 नए और 11 लंबित विधेयक चर्चा के लिए संसद के पटल पर पेश किए जाएंगे। 15 दिन चलने वाले सत्र के दौरान पूरक अनुदान मांगों का पहला बैच भी पटल पर रखा जाएगा। सरकार ने सत्र से पहले शनिवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई है।

संसद के शीतकालीन सत्र में लोकसभा सचिवालय द्वारा अपनी वेबसाइट पर रखे गए कामकाज के ब्योरे के अनुसार सरकार 2023-24 के लिए पूरक अनुदान मांगों का पहला बैच सत्र के दौरान चर्चा और मतदान के लिए पेश करेगी। इसके अलावा, सरकार भोजन, तरलीकृत पेट्रोलियम गैस (एलपीजी), उर्वरक सब्सिडी और महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) योजना के लिए अतिरिक्त धनराशि के लिए लोकसभा की मंजूरी भी मांग सकती है।

संसद में चर्चा के लिए सूचीबद्ध 7 नए विधेयकों में 7 अक्टूबर को हुई जीएसटी परिषद की 52वीं बैठक में दी गई। सिफारिशों को शामिल करने के लिए केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर विधेयक, तेलंगाना में केंद्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय की स्थापना, जम्मू-कश्मीर और पुदुच्चेरी की विधानसभाओं में महिलाओं को आरक्षण प्रदान करने के लिए दो और विधेयक शामिल हैं।

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गौरतलब है ‎कि संसद के शीतकालीन सत्र में जीवन एवं संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करने से संबंधित संविधान पूर्व का एक सदी पुराना बॉयलर एक्ट 1923 फिर से लागू करने के लिए सरकार ने बॉयलर बिल-2023 भी सूचीबद्ध किया है। इसी तरह प्रोविजनल कलेक्शन ऑफ टैक्स बिल-1931 को फिर लागू करने के लिए प्रोविजनल कलेक्शन ऑफ टैक्स बिल-2023 भी पटल पर रखा जाएगा। ब्रॉडकास्टिंग सर्विसेज रेगुलेशन बिल 2023 को सूचीबद्ध नहीं किया गया है, क्योंकि सरकार ने इसके प्रस्ताव पर 10 नवंबर को प्रतिक्रियाएं मांगी हैं।

इसके अलावा सूचीबद्ध 11 लंबित विधेयकों में भारतीय दंड संहिता, आपराधिक प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को फिर से तैयार करने का प्रस्तावित कानून शामिल है। सरकार ने अगस्त में मॉनसून सत्र के आखिरी दिन आईपीसी, सीआरपीसी और साक्ष्य अधिनियम को बदलने के लिए भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य संहिता पेश की थी, जिसे लोकसभा ने संसदीय स्थायी समिति को भेज दिया था। हालां‎कि समिति ने अपनी रिपोर्ट सदन को सौंप दी है। चर्चा के दौरान विपक्ष विधेयकों के हिंदी नामों एवं अन्य विसंगतियों पर विरोध कर सकता है।

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