रायपुर/STAR NEWS। छत्तीसगढ़ विधानसभा के बजट सत्र के दौरान जहां सत्ता पक्ष और विपक्ष सदन में अहम मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं, वहीं पत्रकारों के प्रवेश को लेकर अनियमितताएं सामने आ रही हैं। विधानसभा की कार्यवाही को कवर करने के लिए पत्रकारों को विशेष पास जारी किए जाते हैं, जो प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया संस्थानों को ही दिए जाने चाहिए। लेकिन विधानसभा अधिकारियों की मनमानी और मिलीभगत से अब वेबसाइट और यूट्यूब संचालित करने वालों को भी प्रवेश-पत्र जारी किया जा रहा है, जो कि नियमों के खिलाफ है।
नियमों को किया जा रहा अनदेखा
विधानसभा के स्थायी आदेशों के अनुसार –
1. पत्रकार दीर्घा में प्रवेश केवल उन पत्रकारों को मिल सकता है, जो प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए कम से कम तीन वर्ष से कार्यरत हों और श्रमजीवी पत्रकार अधिनियम, 1955 के तहत पूर्णकालिक पत्रकार हों।
2. वेबसाइट और यूट्यूब चैनल संचालकों को प्रवेश-पत्र देने का कोई प्रावधान नहीं है।
3. न्यूज चैनलों को कम से कम तीन वर्षों का अनुभव और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय या जनसंपर्क संचालनालय से अधिमान्यता प्राप्त होना अनिवार्य है।
इसके बावजूद, विधानसभा में बिना किसी वैधानिक आधार के यूट्यूब और वेबसाइट संचालकों को पास जारी किए जा रहे हैं, जबकि वर्षों से राजधानी में कार्यरत कई अनुभवी पत्रकारों को बार-बार आवेदन देने के बावजूद प्रवेश-पत्र जारी नहीं किया जाता।
पत्रकारों के लिए भेदभावपूर्ण रवैया
जब इस विषय पर विधानसभा अधिकारियों से सवाल किया गया तो उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि “आपका पास नहीं बनाया जाएगा, यह नियमों के खिलाफ है।” लेकिन सवाल यह उठता है कि जब नियम वेबसाइट और यूट्यूब पत्रकारों को पास देने की अनुमति नहीं देते, तो फिर कुछ खास लोगों को यह सुविधा क्यों दी जा रही है?

अधिकारियों की मनमानी पर उठ रहे सवाल
विधानसभा में पत्रकारों के प्रवेश को लेकर इस तरह की अनियमितता से सवाल उठ रहे हैं कि क्या कुछ अधिकारियों द्वारा चुनिंदा लोगों को लाभ पहुंचाया जा रहा है? यदि नियमों का पालन किया जाए, तो केवल उन्हीं पत्रकारों को पास जारी किया जाना चाहिए, जो विधानसभा की तय शर्तों को पूरा करते हैं।
अब देखना होगा कि क्या विधानसभा सचिवालय इस मुद्दे को गंभीरता से लेकर पारदर्शिता सुनिश्चित करेगा, या फिर अधिकारियों की मनमानी जारी रहेगी।