अजय श्रीवास्तव/ रायपुर| हिन्दू धर्म में बेटियों में देवी शक्ति के नव स्वरुपों को देखा जाता है। परन्तु कुछ वर्षों पहले तक घर बेटी के जन्म को लेकर परिवार में उदासी छा जाती थी। क्योंकि बेटी की शादी में लाखों रुपए खर्च करने होंगे यह सोच कर परिजनों हमेशा चिंतित रहते थे। इसी कारण घर में बेटीयों और बेटों में फर्क किया जा था। लेकिन बदलते समय ने परिजनों की सोच को बदला और आज बेटी घर की शान समझती जाती है। आज परिजन बेटीयों को अपना सम्मान समझते हैं।
इसी बेहतर सोच को लेकर राजधानी रायपुर की सेवा पंथ संस्था ने समाज में बेटियों की खर्चीली शादियों में कटौती कर समाज को एक नई सोच की तरफ मोड़ दिया है। यह संस्था उन माता-पिता को बेटियों के दहेज और लंबे खर्चों से मुक्ति दिलाने के लिए हर वर्ष 09 विवाह योग्य लड़कीयों की शादी का सामूहिक विवाह का आयोजन करती आ रही है । उनका इस बार चौथा आयोजन रविवार 18 नवंबर को होने जा रहा है। जिसमें यह संस्था फिर नौ कन्याओं का विवाह कराने जा रही है। इस सामुहिक विवाह आयोजन की खास बात यह है कि इसमें दूल्हे के साथ दुल्हन की भी निकाली जाएगी।
इस संस्था के सदस्य आनंद जगबानी में जानकारी दी की इस विवाह आयोजन को “कन्यादान महायज्ञ” का नाम दिया गया है। कल होने वाले आयोजन में छत्तीसगढ़ एवं महाराष्ट्र की सिंधी पंचायत के साथ सिन्धी समाज के गुरु भी बड़ी संख्या में उपस्थित होकर नवदम्पत्तियों को आशीर्वाद भी देंगे। सस्ता के सदस्य आनंद जगबानी ने बताया कि यह संस्था कोई भी आर्थिक सहयोग या सहायता के वगैर ही यह सामुहिक विवाह आयोजन करती है। यह संस्था समाज के हर वर्ग की सहायता के लिए हमेशा बगैर किसी स्वार्थ के सेवा में तत्पर रहती है।